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Saturday, 2 April 2016

होंठों पर खेलती हैं तब्बसुम की बिजलियाँ, - Chaudvin ka Chand



A part of the lyric 'Chaudvin ka Chand ho' - Great song by Md. Rafi,  great picturisation.)
होंठों पर खेलती हैं तब्बसुम की बिजलियाँ,
सजदे तुम्हारी राह में करती हैं कहकशां,
दुनिया-ए-हुस्नों इश्क़ का तुम्ही शबाब हो...
चौदहवीं का चाँद हो..

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